उतावले यात्री सेल्फ़ी और तस्वीरें खींचने के लिए उन्हें घेर लेते हैं. बिना उनकी अनुमति के मोबाइल कैमरे क्लिक करते हैं और वो अपने अंदर सिमटती हैं, सिकुड़ती हैं.
इस अनचाहे आकर्षण से असहज होने के बावजूद वो अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखती हैं.
ये नज़ारा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म 9 का है जहां तेजस एक्सप्रेस लखनऊ रवाना होने के लिए तैयार खड़ी है.
काले-पीले रंग की बदन से चिपकती चुस्त पोशाक पहने खड़ी ये लड़कियां भारत की इस पहली प्राइवेट ट्रेन की होस्टेस हैं.
हाल ही में शुरू हुई तेजस एक्सप्रेस का संचालन भारतीय रेल की ही निजी कंपनी आईआरसीटीसी के हाथ में हैं.
हवाई सेवा की तरह
इसे रेल सेवा को भारत की पहली निजी या कार्पोरेट सेवा भी कहा जा रहा है. आईआरसीटीसी ने तेजस को रेलवे से लीज़ पर लिया है और इसका कमर्शियल रन किया जा रहा है. आईआरसीटीसी अधिकारी इसे प्राइवेट के बजाए कॉर्पोरेट ट्रेन कहते हैं.
ये तेज़ रफ़्तार ट्रेन आधुनिक सुविधाओं से लैस है और देश की राजधानी से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बीच 511 किलोमीटर का सफ़र साढ़े छह घंटे में पूरा कर लेती है.
यूं तो इस ट्रेन में कई ख़ास बातें हैं लेकिन इसकी सबसे ख़ास बात ये ट्रेन होस्टेस ही हैं.
भारत में ये पहली बार है जब किसी रेल सेवा में हवाई सेवा की तरह होस्टेस तैनात की गई हैं. इसलिए यात्रियों में उनके प्रति जिज्ञासा और आकर्षण नज़र आता है.
तेजस एक्सप्रेस में तैनात इन होस्टेस का काम यात्रियों के खाने-पीने और अन्य ज़रूरतों के अलावा सुविधा और सुरक्षा का ध्यान रखना है.